— शौचालय, साफ़ पानी से लेकर सुरक्षित आवास और सस्ती सैनिटरी नैपकिन तक

SUDHIR KUMAR / NEW DELHI

महिलाओं के स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामाजिक सुरक्षा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एक के बाद एक कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन पहलों का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की दैनिक कठिनाइयों को कम करना, उन्हें आवश्यक सुविधाएं सुलभ कराना और समाज में उनकी गरिमा को सशक्त करना है।

राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सवित्री ठाकुर ने बताया कि सरकार की प्रमुख योजनाएं जैसे उज्ज्वला योजना, जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत अभियान ने महिलाओं की ‘टाइम पॉवर्टी’ यानी समय की कमी और शारीरिक श्रम को काफी हद तक कम किया है।

स्वच्छ भारत अभियान के तहत अब तक देशभर में 11.8 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है, जिससे महिलाओं को खुले में शौच की विवशता से मुक्ति मिली है। वहीं, जल जीवन मिशन के तहत 15.6 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल से जल कनेक्शन प्रदान किया गया है, जिससे रोज़मर्रा के कार्यों में लगने वाला समय और श्रम दोनों में कमी आई है।

महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और किफायती बनाने हेतु रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) चलाई जा रही है। इसके तहत 16,000 से अधिक जनऔषधि केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहाँ जरूरी दवाइयाँ और केवल ₹1 में उपलब्ध “सुविधा” ब्रांड की ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन्स महिलाओं को उपलब्ध कराई जा रही हैं।

किशोरियों (10-19 वर्ष) की विशेष ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत मासिक धर्म स्वच्छता योजना लागू की गई है। इसके तहत आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से रियायती सैनिटरी पैड्स वितरित किए जा रहे हैं और साथ ही जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन के तहत मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM) दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवहारगत बदलाव लाने पर केंद्रित हैं।

कामकाजी महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा एवं सुविधा के लिए सरकार “सखी निवास योजना” (वर्किंग वुमन हॉस्टल) को “मिशन शक्ति” के तहत चला रही है। यह योजना महिलाओं को सुरक्षित और सुविधाजनक आवास प्रदान करती है, जिसमें डेडिकेटेड डे-केयर सुविधाएं भी होती हैं, ताकि कामकाजी माताओं को राहत मिल सके।

इस दिशा में बुनियादी ढांचे को और सशक्त करने के लिए वित्त मंत्रालय ने राज्यों को पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता योजना (SASCI) के तहत ₹5,000 करोड़ आवंटित किए हैं। अब तक 28 राज्यों में 254 नए वर्किंग वुमन हॉस्टलों को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनकी कुल क्षमता 52,991 बेड्स है। इसके लिए ₹4,826 करोड़ की अनुमानित लागत है, जिसमें से ₹3,147 करोड़ राज्यों को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए जारी किए जा चुके हैं।

महिलाओं के जीवन को सरल, सुरक्षित और सम्मानजनक बनाने की दिशा में सरकार की ये बहुआयामी पहलें दूरगामी असर डाल रही हैं — चाहे वह साफ़ पानी हो, दवाइयाँ, मासिक धर्म की स्वच्छता या सुरक्षित रहने की जगह।