AMN / NEW DELHI

चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को कहा कि शीर्ष अदालत ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की “काला धन रूपांतरण” योजना को रद्द कर दिया है।

चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में, खड़गे ने कहा, “हम आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, जिसने मोदी सरकार की इस ‘काले धन रूपांतरण’ योजना को रद्द कर दिया है। यह असंवैधानिक है।”

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द करने का आदेश दिया है। मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगीं हैं और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला भी कर रहे हैं। इसी क्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ-साथ अन्य नेताओं ने गुरुवार (15 फरवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि ये योजना ‘रिश्वत और कमीशन का माध्यम‘ थी।

बीजेपी ने इसे बना दिया था रिश्वत का जरिया

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को लेकर सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट के जरिए कहा, ‘नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। बीजेपी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। आज इस बात पर मुहर लग गई है।’

राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘कांग्रेस ने हमेशा से कहा था इलेक्टोरल बॉन्ड, खारिज किए जाना चाहिए। ये बीजेपी का स्कैम था।’

उन्होंने कहा, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड पर पीएम, वित मंत्री और जेपी नड्डा को जवाब देना चाहिए।’

पवन खेड़ा क्या बोले?

वहींए कांग्रेस के अन्य नेता पवन खेड़ा ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंधेरे में उजाले की किरण की तरह है। कांग्रेस शुरू से इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के खिलाफ थी। राजनीतिक दलों को मिले चंदे को लेकर लोगों को जानने का अधिकार है। एसबीआई अब तक की इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक करे। इलेक्टोरल बॉन्ड का 95% चंदा यानि 5200 करोड़ बीजेपी को मिला। इसके बदले बीजेपी ने उन कंपनियों को क्या दिया? कांग्रेस को डर है सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए सरकार कोई अध्यादेश न ले आए। आज साफ हो गया कि यह पीएम द्वारा किया गया भ्रष्टाचार है।‘

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया आदेश?

दूरगामी परिणाम वाले इस ऐतिहासिक फैसले में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 6 साल पुरानी योजना में दान देने वालों के नामों की जानकारी निर्वाचन आयोग को देने के निर्देश दिए गए। इसमें कहा गया कि जानकारी में यह भी शामिल होना चाहिए कि किस तारीख को यह बॉन्ड भुनाया गया और इसकी राशि कितनी थी। साथ ही पूरा विवरण 6 मार्च तक निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को एसबीआई की ओर से साझा की गई जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करनी चाहिए।