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संसद का बजट सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ शुरू हो गया है। केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संसद देश की जनता की सर्वोच्च आकांक्षा की प्रतीक है और लोकतंत्र में बहस और चर्चा की जगह है, अवरोध या बाधा की नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार संसद की कार्यवाही सुचारू और रचनात्मक ढंग से चलाने के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। उन्होंने सभी सांसदों से आग्रह किया कि वे सहयोग और परस्पर सदभाव की भावना से अपने पावन दायित्व का निर्वाह करें।
लगभग एक घंटे के अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार सिर्फ सुर्खियों में रहने वाली आर्थिक उन्नति की बजाय सबके विकास पर ध्यान दे रही है। देश को आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय अस्थिरता जैसी प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के लिए मानव समुदाय की मदद करनी होगी। उन्होंने कहा सरकार सबका साथ सबका विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखकर विकास के रास्ते पर चल रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र को मजबूती देकर दूसरी हरित क्रांति की दिशा में काम कर रही है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि भारत में अब भी दूध का उत्पादन दुनिया में सबसे अधिक है और अंडों का उत्पादन भी सबसे अधिक रहा है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार सबके लिए आवास की व्यवस्था करने के प्रति कटिबद्ध है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार के अभिनव प्रयासों से भारत कारोबार में आसानी की विश्व बैंक की ताजा सूची में बारह पायदान ऊपर आ गया है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर बढ़ने से भारत की गिनती विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में होने लगी है।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया में निवेश के प्रतिकूल माहौल के बावजूद इस कार्यक्रम से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश उनतालीस प्रतिशत बढ़ाने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति, राजकोषीय घाटे और चालू खाता घाटे में भी गिरावट आयी है। सदस्यों की करतल ध्वनि के बीच राष्ट्रपति ने कहा कि 2015 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सबसे ऊंचे स्तर पर रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि ग्रामीण विकास सरकार की एक बड़ी प्राथमिकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने भ्रष्टाचार की गुंजाईश कम करने के लिए अनेक उपाय अपनाए हैं और भ्रष्टाचार के दोषियों को सजा देने के मामले में कोई ढील नहीं दी जा रही।
आतंकवाद के मुद्दे पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ परस्पर सम्मानजनक संबंध बनाने और सीमा पार से आतंकवाद को रोकने में सहयोग का माहौल तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अंत में राष्ट्रपति ने राष्ट्रवाद पर जारी बहस की तरफ भी इशारा किया। उन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रवाद मानवमात्र और सत्यम, शिवम, सुंदरम के सर्वोच्च आदर्शों से प्रेरित है।
बजट सत्र सफल रहेगा: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आशा व्यक्त की है कि बजट सत्र सफल रहेगा और संसद में सार्थक बहस होगी। संसद से बाहर श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि सत्र के दौरान जनहित के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि सरकार की कड़ी आलोचना होनी चाहिए और कमजोरियों को बताया जाना चाहिए जिससे देश में लोकतंत्र और मजबूत हो सके।
आज भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो स्थिति बनी है, उसके कारण विश्व का ध्यान भी भारत के इस बजट सत्र पर है। पिछले कई दिनों से लगातार सभी दलों से औपचारिकता से ऊपर उठ करके विचार-विमर्श चल रहा है। वन टू वन भी काफी बातें हो रही है और यह विश्वास मिला है कि सार्थक चर्चाएं होंगी। सरकार की भी भरपूर आलोचना होनी चाहिए।