AMN /
उत्तराखंड विधानसभा में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में शक्ति परीक्षण खत्म हो चुका है। इस परीक्षण में नौ बागी विधायक को वोटिंग की अनुमति नहीं थी। शक्ति परीक्षण उच्चतम न्यायालय की निगरानी में किया गया और इसी वीडियोग्राफी भी की गई है। सुप्रीम कोर्ट कल शक्ति परीक्षण के नतीजों की घोषणा करेगा।
नतीजों की घोषणा के बाद इस बात पर मुहर लग जाएगी कि देहरादून स्थित विधानसभा में आख़िरकार राज्य की सत्ता राष्ट्रपति शासन के हाथों में रहेगी या हरीश रावत की फिर से ताज़पोशी होगी या कोई नया मुख्यमंत्री होगा।
राज्य में पैदा हुए राजनीतिक संकट के बारे में बता दें कि 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की बीजेपी की मांग का कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया था, जिसके बाद राज्य में सियासी तूफान पैदा हो गया और उसकी परिणिति 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन के रूप में हुई थी।
विधानसभा स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने इन विधायकों पर दलबदल कानून के तहत अयोग्य करार दिया था। जिन विधायकों की सदस्यता गई है उनमें अमृता रावत , हरक सिंह रावत , प्रदीप बतरा , प्रणव सिंह , शैला रानी रावत , शैलेंद्र मोहन सिंघल, सुबोध उनियाल, उमेश शर्मा और विजय बहुगुणा शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक बहुमत प्रस्ताव के समर्थन में 34 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 28 वोट पड़े। फ्लोर टेस्ट के लिए दो घंटे का समय तय था, लेकिन कार्यवाही एक घंटे में ही पूरी हो गई।