
सर्बानंद सोनोवाल ने ली असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ, राज्य में पहली बार भाजपा की अगुआई वाली सरकार का करेंगें नेतृत्व, प्रधानमंत्री मोदी भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत अनेक वरिष्ठ नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह में की शिरकत
सूरज पूरब से ही उगता है, आज एक राजनीति उदय हमें देखने को मिला पूरब में ही। पहली बार उत्तर-पूर्व के सबसे बड़े राज्य असम में पहली बार भाजपा नीत सरकार ने शपथ ली। और नए सीएम के तौर पर सर्बानंद सोनोवाल शपथ ली।
शपथ ग्रहण समारोह में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी समेत बीजेपी के बड़े नेता पहुंचे। इतना ही नहीं, शपथ ग्रहण समारोह में वीआईपी अतिथियों के अलावा कार्यक्रम में करीब एक लाख लोग भी मौजूद थे।
असम में 15 साल की कांग्रेस सरकार को सत्ता से बेदखल कर राज्य में कमल खिलाने वाले सर्बानंद सोनोवाल ने गुवाहाटी के खानापारा वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में जब शपथ ग्रहण की तो वहां मौजूद अतिथियों के साथ ही बीजेपी कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल था।
राज्यपाल पी बी आचार्य ने सोनोवाल को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी। सोनोवाल ने ईश्वर के नाम पर असमी भाषा में शपथ ली।
राष्ट्रगान से शुरू हुए शपथ ग्रहण समारोह में सोनोवाल के बाद हेमंत बिस्व सरमा ने मंत्री पद की शपथ ली। उनके बाद चंद्र मोहन पटवारी, केशव मोहंता, अतुल बोरा, रंजीत दत्ता, परिमल सुक्रबैद्य, प्रमिला रानी ब्रह्मा, रिहोन दैमारी ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
सोनोवाल के साथ 10 अन्य मंत्रियों ने शपथ ली। 10 मंत्रियों में से छह मंत्री बीजेपी से और दो – दो एजीपी और बीपीएफ के हैं।
पूर्वोत्तर में पहली बीजेपी सरकार बनने के इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कई केंद्रीय मंत्री पहुंचे थे।
कई बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा पंजाब और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री तथा तमाम बडे नेताओं ने समारोह में शिरकत की।
वीआईपी अतिथियों के अलावा कार्यक्रम में करीब एक लाख लोग मौजूद थे। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान लोग असम का पारंपरिक संगीत और नृत्य कर रहे थे।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे बड़ा करिश्मा असम में ही किया जहां कुल 126 सीटों में से उसने सहयोगियों के साथ 86 सीटों पर जीत दर्ज की।
15 वर्षों से सत्तारूढ़ कांग्रेस को मात्र 26 सीटों पर संतोष करना पड़ा। असम की राजनीतिक सत्ता में 1952 से ही कांग्रेस का वर्चस्व रहा है लेकिन इस बार बीजेपी ने सोनोवाल की अगुवाई में कमल खिला कर पूर्वोत्तर में अपनी मजबूत पैठ बना ली।
कभी छात्र राजनीति के अगुवा रहे सर्बानंद सोनावाल 1992 से 1999 तक ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन यानी आसू के अध्यक्ष रहे।
साल 2011 में वो बीजेपी में शामिल हुए। पहले उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया और बाद में राज्य ईकाई का अध्यक्ष भी बनाया गया।
सोनोवाल सबसे पहले साल 2001 में असम के मोरन विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये। उसके बाद वर्ष 2004 में हुए 14वीं लोकसभा चुनाव में वह डिब्रूगढ़ से सांसद चुने गए।
साल 2014 में हुए 16वीं लोकसभा के चुनाव में सोनोवाल ने लखीमपुर सीट पर जीत दर्ज की और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में उन्हें खेल एवं युवा मामलों का स्वतंत्र प्रभार का राज्य मंत्री बनाया गया।
भारी जनादेश के बाद अब सोनोवाल के उपर राज्य के विकास की जिम्मेदारी है। सोनोवाल ने ही असम में बांग्लादेशी घुसपैठ मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की अगुवाई की थी और आज यही उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
सोनोवाल के समर्थन में पीएम ने असम में कई रैलियां की थी। चुनाव प्रचार के दौरा पीएम सोनोवाल का परिचय कराते हुए ‘देश में आनंद होगा और असम में सर्वानंद जैसा नारा दिया था।
लोगों ने भी पीएम की बातों पर भरोसा करते हुए सोनोवाल के हाथ में राज्य की सत्ता सौंप दी