
सेराज अनवर / पटना
सब्ज़ीबाग़ पटना का हृदय है.दिल्ली के शाहीनबाग़ और गया के शांतिबाग़ की तर्ज़ पर नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ औरतें,बच्चे,बूढ़े,जवान घरों से बाहर निकल गये हैं. पटना में सर्द हवा चल रही है,ज़िलाधिकारी ने दो दिनों के लिए स्कूल फिर बंद रखने का आदेश दिया है. मगर सब्ज़ीबाग़ के लोग हाड़ कंपकंपाती ठंड की परवाह न करते हुए खुले आसमान में सड़क पर बैठ गये हैं. सब्ज़ीबाग़ ठंड में भी गरम हो गया है.CAA,NRC,NPR के ख़िलाफ़ ग़ुस्से में है. लोग पूछ रहे ये सरकार नागरिकता का प्रमाण मांगने वाली होती कौन है.लोगों ने शपथ लिया जा रहा है कि किसी तरह का काग़ज़ नहीं दिखायेंगे.संकल्प दिलवाया जा रहा है कि हिंदू हो या मुसलमान कोई काग़ज़ नहीं दिखाएगा.
भीड़ से आवाज़ आती है,नहीं दिखायेंगे. पूरा सब्ज़ीबाग़ धरनार्थियों से जाम हो गया है. यातायात ठप है. सामने में पीर बहोर थाना है.थाना के सामने से सब्ज़ीबाग़ दाख़िल होते हैं.यह रास्ता सीधे बीड़ला मंदिर जाता है.हथुआ मार्केट को यही मार्ग जोड़ता है.सब्ज़ीबाग़ मोड़ से बायीं ओर दरियापुर को यह रास्ता जोड़ता है.पूरा इलाक़ा व्यापार का है.प्रदर्शन से सब मार्ग ठप है.व्यापारिक गतिविधि प्रभावित है.सभी मार्ग ब्लोक है.इस ओर जाने वाली सभी रूट को डायवर्ट कर दिया गया है. भीड़ बढ़ती जा रही है. पूरा पटना उमड़ रहा है.बिहार में चल रहे आंदोलन को सब्ज़ीबाग़ ने तेज़ कर दिया है.मालूम हो कि नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन में फ़ुलवारी शरीफ़ में आमिर हंजला की जान भी जा चुकी है
हारूननगर में धरना को पुलिस ने ज़बरन हटवा दिया था.गांधी मैदान में भी धरना को पुलिस ने चलने नहीं दिया था.सरकार पर आंदोलन को कुचलने का आरोप लग रहा है.आज सबज़ीबाग़ अचानक सड़क पर उतर गया.सभी धर्म के लोग धरना पर बैठे हैं.नीतीश कुमार के लिए यह धरना चुनौती है.कुछ उलेमा को बुला कर सरकार ने आंदोलन को दबाने का प्रयास किया था.यह धरना आम आवाम का है.रहबर भी वही और जनता भी वही.सब्ज़ीबाग़ बिहार की राजनीति में असर रखता है.फ़िलहाल इसका मूड गरम है.
अर्ध रात्रि पुलिस दबाव के बावजूद सब्ज़ीबाग़ में डटे हैं आंदोलनकारी
पटना / सेराज अनवर
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ पटना के सब्ज़ीबाग़ में कल से शुरू अनिश्चितक़ालीन धरना से नीतीश सरकार की नींद उड़ गयी है.धरना की पहली ही रात्रि पीर बहोर थाना दमन चक्र चलाने पहुंच गया.शांतिपूर्ण धरना को बलपूर्वक ख़त्म कराने का प्रयास किया गया.कुछ देर के लिए माहौल गरम रहा.थाना प्रभारी रिज़वान खान के साथ डीएसपी ने अथक प्रयास किया कि किसी भी तरह धरना को अर्धरात्रि में ख़त्म करा दिया जाय.धरनार्थियों को हड़काया गया,थाना चल कर बात करने को कहा गया.लोग अड़ गये बात थाना पर क्या होगी,क्यों होगी?सूचना फैलते ही डेढ़ बजे रात्रि में भीड़ बढ़ने लगी.पुलिस का प्रयास नाकाम रहा.कड़कड़ती ठंड में लोग धरना पर डटे हुए हैं.यह धरना ठीक पीर बहोर थाना के सामने हो रहा है.सब्ज़ीबाग़ दिल्ली के शाहीनबाग़ में बदल रहा है.रात्रि में बिहार विधानसभा के स्पीकर उदय नारायण चौधरी भी पहुंचे.धरना को संबोधित किया.
सब्ज़ीबाग़ ने शाहीनबाग़ की तर्ज़ पर काले क़ानून के ख़िलाफ़ बड़ी लड़ाई का एलान किया है.शाहीनबाग़ की तरह ही सब्ज़ीबाग़ एक घनी आबादी वाला मुस्लिम मोहल्ला है.यह इलाक़ा व्यापार के लिए जाना जाता है.धरना से खेतान मार्केट,हथुआ मार्केट,बाकरगंज ,अशोक राजपथ,दरियापुर,मछुआ टोली का मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध है.रूट बदल कर लोगों का आना जाना हो रहा है.इस पूरे क्षेत्र को सब्ज़ीबाग़ ही जोड़ता है.थाना से सब्ज़ीबाग़ प्रवेश करने वाला मार्ग इलाक़े का लाईफ़ लाईन है.धरना से कल पटना की यह हृदयस्थली रुक सा गया.शासन-प्रशासन में खलबली मचना लाज़मी था. मालूम हो कि दिल्ली हाईकोर्ट ने शाहीन बाग इलाके से बैरिकेड हटाने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. याचिका में कहा गया था कि शाहीन बाग इलाके में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के कारण डीएनडी फ्लाईओवर पर लोगों को रोज लंबे ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है.
दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दक्षिण दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में धरना प्रदर्शन जारी है. जिसके चलते कालिंदी कुंज से सरिता विहार की ओर आने-जाने वाला रास्ता बंद है. लोगों को डीएनडी से जाने-आने में लंबे ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है.सब्ज़ीबाग़ का मामला भी कुछ ऐसा ही है.
लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय से जनता को बल मिला है.यहां मामला सिर्फ़ मार्ग का ही नहीं है.सब्ज़ीबाग़ न सिर्फ़ पटना की राजनीति को बुरी तरह प्रभावित करता है बल्कि बिहार की राजनीति में भी असर रखता है..सत्ता को मालूम है आंदोलन अधिक दिन खींचा तो बिहार की मुस्लिम राजनीति पर क्या प्रभाव डालेगा.अभी 19 जनवरी को ही जल,जीवन,हरियाली को लेकर जदयू के मानव ऋंखला पर ही प्रभाव पड़ता दिख रहा है.मुस्लिम समाज में इस मुहिम को लेकर कोई उत्साह नहीं है.सोशल मीडिया पर मानव ऋंखला का बहिष्कार की भी बात चल रही है.शराबबंदी को लेकर मानव ऋंखला में मुस्लिम समाज और उलेमा ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था.बिहार में NPR लागू होने से भी मुसलमान नीतीश से काफ़ी ख़फ़ा हैं.सब्ज़ीबाग़ का आंदोलन बिहार और देश की राजनीति में मील का पत्थर साबित होगा.वैसे शासन-प्रशासन इस आंदोलन को फिर तोड़ने का प्रयास करेगा.