रियल एस्टेट रेग्युलेटरी एक्ट रविवार से देश भर में लागू हो गया है। इस विधेयक से बिल्डरों की मनमानी पर लगाम लगाने में उपभोक्ताओं को मदद मिलेगी।
इस विधेयक के लागू हो जाने से तय समय सीमा के भीतर बिल्डरों को उपभोक्ताओं को मकान देना होगा। यह विधेयक कमर्शियल और रेजिडेंशियल दोनों तरह की प्रॉपर्टी पर लागू होगा।
नए नियम के अनुसार पजेशन में देरी होने या कंस्ट्रक्शन में दोषी पाए जाने पर बिल्डर को ब्याज और जुर्माना देना होगा। दोषी पाए जाने वाले बिल्डर के लिए 3 साल की सजा का भी प्रावधान किया गया है।
नए नियम के तहत रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक सेंट्रल रेग्युलेटर बनाने, बिल्डर को प्रत्येक प्रोजेक्ट के लिए एस्क्रो अकाउंट खोलने जैसे कुछ ठोस प्रावधान भी किए गए हैं। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी।
प्रोजेक्ट एरिया को 1,000 वर्ग मीटर से कम करके 500 वर्ग मीटर कर दिया गया है। इससे छोटे बिल्डर भी नए नियम के दायरे में आएंगे और उनपर रेग्युलेटर की नज़र रहेगी।
प्रोजेक्ट का स्ट्रक्चर बदलने के लिए बिल्डर को दो तिहाई खरीदारों की सहमति लेनी अनिवार्य होगी।