
AMN / NEW DELHI
करीब चार घंटे की गर्मागर्म बहस के बाद राज्यसभा में मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाला विधेयक पास हो गया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे सदन में पेश किया था। जेडीयू, अन्नाद्रमुक ने सदन से वाकआउट किया।
इसके साथ ही इस बिल के कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून के तौर पर लागू हो जाएगा। उच्च सदन में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया। बीएसपी, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके और टीडीपी जैसे कई दलों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के चलते सरकार को यह बिल पास कराने में आसानी हुई। बिल की मंजूरी से विपक्ष की कमजोर रणनीति भी उजागर हुई। इस विधेयक का तीखा विरोध करने वाली कांग्रेस कई अहम दलों को अपने साथ बनाए रखने में असफल रही।
इससे पहले बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने का प्रस्ताव भी 100 के मुकाबले 84 वोटों से गिर गया। इस बिल को मंजूरी के साथ ही सरकार ने साबित किया कि उसकी फील्डिंग उच्च सदन में खासी मजबूत थी। बिल का विरोध करने वाले जेडीयू, टीआरएस, बीएसपी और पीडीपी जैसे कई दलों ने मतदान में हिस्सा ही नहीं लिया।
इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि हजारों साल पहले पैगंबर ने भी इस पर सख्ती से पाबंदी लगाई थी और उनके जिस बंदे ने ऐसा किया, उससे कहा कि वह अपनी पत्नी को वापस ले। यहां भी लोग कह रहे हैं कि तीन तलाक गलत है, लेकिन…। आखिर यह लेकिन क्या है, इसका मतलब यह है कि तीन तलाक गलत है, लेकिन सब कुछ ऐसे ही चलने दो।
रविशंकर प्रसाद ने हिंदू मैरिज ऐक्ट समेत कई कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि 1955 में जब बना तो यह रखा गया कि पति की उम्र 21 साल और पत्नी की 18 वर्ष होनी चाहिए। इसके उल्लंघन पर दो साल की सजा का प्रावधान किया गया। यदि पत्नी के रहते हुए पति ने दूसरी शादी की या फिर पत्नी ने दूसरा पति कर लिया तो 7 साल की सजा होगी। 55 साल पहले कांग्रेस ने यह किया था और हम इस अच्छे काम के साथ हैं।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 1961 में दहेज के खिलाफ कानून लाने का काम किया था। दहेज लेने पर 5 साल की सजा है और मांगने पर 2 साल की सजा है। 1986 में इसे गैरजमानती अपराध करार दिया गया। उसमें तो नहीं सोचा कि परिवार कैसे चलेगा। यह कानून धर्म की सीमाओं से परे है और सभी पर लागू होता है। यही नहीं उन्होंने कहा कि आईपीसी में आप 498A लाए, जिसमें पति की क्रूरता पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया। यह कानून 1983 में लाया गाया। इन सभी के लिए आपका अभिनंदन है। इतने प्रगतिशील काम करने वाली आपकी सरकार के कदम 1986 में शाहबानो केस में क्यों हिलने लगे। यह बड़ा सवाल है।
शाहबानो प्रकरण की याद दिलाते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 1986 में दो दिन तक आरिफ मोहम्मद खान का भाषण हुआ था। इतनी हिम्मती कांग्रेस सरकार आखिर दहेज उत्पीड़न के अपराध को गैरजमानती बनाती है और शाहबानो पर पीछे हट गई। 1986 में शाहबानो से लेकर 2019 में सायराबानो तक कांग्रेस आज जस की तस खड़ी है। रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि 1986 में आपकी 400 सीटें आई थीं, उसके बाद 9 लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन आप तबसे गिरते ही चले गए। 1986 में शाहबाने के बाद से कांग्रेस गिरती ही चली गई, यह आपके लिए सोचने की बात है।
अन्नाद्रमुक ने भी किया विरोध
अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसा कानून बनाने की संसद के पास विधायी सक्षमता नहीं है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को पूर्व प्रभाव से लागू किया गया है जो संविधान की दृष्टि से उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम विवाह एक दिवानी समझौता है और इसे भंग करना अपराध नहीं हो सकता है। तीन तलाक के बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का उल्लेख करते हुए अन्नाद्रमुक नेता ने कहा कि जब इस कृत्य को शीर्ष न्यायालय निष्प्रभावी बता चुका है तो उस निष्प्रभावी कृत्य पर संसद कानून कैसे बना सकती है? उन्होंने कहा कि यह विधेयक कानून बनने के बाद न्यायपालिका की समीक्षा में टिक नहीं पाएगा?
बीजू जनता दल ने किया समर्थन
बीजू जनता दल के प्रसन्न आचार्य ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी पार्टी महिला सशक्तिकरण के पक्ष में हमेशा से रही है। उन्होंने कहा कि बीजद ने लोकसभा चुनाव में जिन प्रत्याशियों को टिकट दिये थे उनमें एक तिहाई महिलाएं थीं और पार्टी की सात प्रत्याशियों ने चुनाव जीते। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय में तीन तलाक की प्रथा को अवैध ठहराया था। आचार्य ने सरकार से जानना चाहा कि विधेयक में एक तरफ तो तीन तलाक की प्रथा को निरस्त माना गया है और वहीं दूसरी तरफ इसका संज्ञान लेते हुए इसे अपराध माना गया है। उन्होंने कहा कि दोनों बातें एक साथ कैसे चल सकती हैं?
संसद की समीक्षा के विरुद्ध लाया गया बिल: टीएमसी
तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने कहा कि उनकी पार्टी तीन तलाक के बारे में लाए गए अध्यादेश का इसलिए विरोध कर रही है क्योंकि यह अध्यादेश बिना संसदीय समीक्षा के लाया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में न तो राष्ट्रपति शासन लगा है और न ही तानाशाही है, इसलिए संसद की समीक्षा के बिना कोई भी कानून लाना संविधान की भावना के विरूद्ध है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा महिला सशक्तिकरण के बारे में केवल बात ही करती है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इसके लिए वाकई गंभीर है तो उसे महिला आरक्षण संबंधित विधेयक संसद में लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए यदि वर्तमान सत्र का एक और दिन बढ़ाना पड़े तो हमारी पार्टी उसके लिए भी तैयार है।
बिल का मकसद परिवारों का बर्बाद करना: आजाद
सदन में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने तीन तलाक बिल कहा कि ये बिल मुस्लिम महिलाओं की शादी के अधिकार की सुरक्षा पर है, लेकिन असल में इसका मकसद परिवारों का बर्बाद करना है।
धर्म से इसका कोई लेना-देना नहीं
राज्यसभा में तीन तलाक पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है क्योंकि 33 साल बाद सदन सामाजिक कुरीति को खत्म करने के लिए चर्चा कर रही है। इससे पहले सदन ने शाहबानों पर अदालत के दिए फैसले को निष्प्रभावी करने को लेकर चर्चा की थी। नकवी ने कहा कि आज इस कुरीति को खत्म करने के फैसले पर चर्चा हो रही है। इस कुरीति का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। कई इस्लामिक देश इसे गैर कानूनी और गैर इस्लामी बताकर खत्म कर चुके हैं। धर्म से इसका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि देश ने जब पहले कई कुरीतियो को खत्म किया तब कोई हंगामा नहीं हुआ। आज देस कांग्रेस का व्यवहार देख रही है। लोकसभा से राज्यसभा में आते-आते विधेयक पर कांग्रेस के पैर लड़खड़ा रहे हैं। नकवी ने एक शेर पढ़ते हुए अपनी बात खत्म करते हुए कहा कि तू दरिया में तूफान क्या देखता है, खुदा है निगेहबान क्या देखता है। तू हाकिम बना है तो इंसाफ देकर, तू हिन्दू-मुसलमान क्या देखता है।
जदयू ने किया वॉकआउट
विधेयक के विरोध में जनता दल यूनाइटेड सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल के साथ नहीं है। पार्टी की एक विचारधारा है जिसका पालन करने के लिए वह स्वतंत्र है। विचार की यात्रा चलती रहती है और उसकी धाराएं बंटती रहती हैं लेकिन खत्म नहीं होती। उन्होंने कहा कि विधेयक पर बड़े पैमाने पर जागदरूकता फैलाने की जरूरत है। विधे.क के विरोध में हमारी पार्टी वाकआउट करती है।
सभी वर्ग और धर्मों की महिलाओं में ऐसी शिकायतें हैं
कांग्रेस सांसद अमी याज्ञिक ने सवाल करते हुए कहा कि सरकार देश की सभी महिलाओं के लिए चिंतित क्यों नहीं है। उन्होंने कहा गुजरात की एक मां मेरे पास आई और कहा कि मेरी एमबीए लड़की को पति ने निकाल दिया है, क्योंकि रोटी काली हो गई थी। इस तरह की चीजें केवल तबके की महिलाओं को नहीं झेलनी पड़ती है। सभी वर्ग और धर्मों की महिलाओं में ऐसी शिकायतें हैं। याज्ञिक ने कहा कि वह महिला सशक्तिकरण और बिल के खिलाफ नहीं है लेकिन बाकी महिलाओं के बारे में सरकार क्यों नहीं सोच रही है। हर महिला को जीवन में ऐसा कुछ न कुछ झेलना पड़ता है। उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक को खत्म कर दिया है। अदालत ने जिसे गैर-कानूनी ठहरा दिया आप कैसे उस पर कानून ला सकते हैं।