
सुधीर कुमार
नीतीश कुमार की एक चाल ने निरीह विपक्षी पार्टियों को कुछ आशा की किरण दिखा दी है। गत २०१९ के लोकसभा चुनाव में बिहार के कुल चालीस लोकसभा सीटों में से ३९ सीट एनडीए ने झटक ली थी , लेकिन नीतीश कुमार ,एक बार फिर पलटी मारते हुए राजद से हाथ मिलाकर कम से कम बिहार में एनडीए को तगड़ा झटका दिया है।
सन २०१५ के विधान सभा चुनाव में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने मिलकर ,स्व रामविलास पासवान , उपेंद्र कुशवाहा , जीतन राम मांझी और बीजेपी की चौकड़ी को चारो खाने चित करते हुए सूपड़ा साफ कर दिया था , उस चुनाव में नीतीश कुमार की महागठबंधन को १७९ सीट मिली थी , जबकि एनडीए को ५८ सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था , अगर वोट प्रतिशत की बात करें , तो नीतीश कुमार की गठबंधन को बयालीस प्रतिशत, जबकि एनडीए को ३४ प्रतिशत वोट मिले थे।
गौर करने वाली बात ये है, कि फिलहाल उपेंद्र कुशवाहा और जतिन राम मांझी ,नीतीश कुमार के साथ है , वहीं स्व रामविलास की पार्टी लोजपा हासिये पर है।
अब ये देखना दिलचस्प होगा , कि अमितशाह और मोदी की जोड़ी आने वाले समय में नीतीश कुमार को किस तरह से पटखनी दे पाते हैं या फिर नीतीश की ये चाल२०२४ के लोकसभा चुनाव की दशा और दिशा बदल देती हैं।