Last Updated on October 24, 2025 6:46 pm by INDIAN AWAAZ

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व्हाइट हाउस ने एक बार फिर साफ किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एच-1बी वीज़ा सुधार नीति का मकसद अमेरिकी नागरिकों को नौकरियों में प्राथमिकता देना है। सरकार ने यह भी दोहराया कि वह इस नीति के खिलाफ दायर मुकदमों का अदालत में मजबूती से बचाव करेगी।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा, “राष्ट्रपति का सबसे बड़ा लक्ष्य हमेशा से अमेरिकी कामगारों को पहले रखना रहा है। एच-1बी वीज़ा प्रणाली में वर्षों से धोखाधड़ी और दुरुपयोग के कारण अमेरिकी मजदूरी प्रभावित हुई है। नई नीतियां इसी व्यवस्था को सुधारने के लिए लागू की गई हैं। ये कदम कानूनी, ज़रूरी और पूरी तरह जायज़ हैं, और प्रशासन अदालत में इनका पूरा समर्थन करेगा।”
इस बयान के साथ ही अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने एच-1बी वीज़ा आवेदन शुल्क से जुड़ी नई गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत अब आवेदन शुल्क 1 लाख डॉलर तक तय किया गया है। हालांकि, कुछ मामलों में छूट भी दी गई है — जैसे एफ-1 छात्र वीज़ा से एच-1बी में बदलने वाले या अमेरिका के भीतर वीज़ा विस्तार के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों को यह भारी शुल्क नहीं देना होगा।
वर्तमान एच-1बी वीज़ा धारकों को देश में आवागमन की पूरी स्वतंत्रता बनी रहेगी। नया आदेश केवल नए विदेशी आवेदकों पर लागू होगा जो अमेरिका के बाहर हैं और जिनके पास वैध एच-1बी वीज़ा नहीं है। आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ऑनलाइन भुगतान की सुविधा भी शुरू की गई है।
हालांकि, इन नए नियमों का उद्योग जगत से कड़ा विरोध हुआ है। यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स, जो अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापार संगठन है, ने इस कदम को “गैरकानूनी” बताते हुए ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। संगठन का कहना है कि इतनी ऊंची फीस से कंपनियों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा और वे कुशल विदेशी कर्मचारियों की भर्ती कम कर सकती हैं।
इससे पहले भी कई यूनियनों और शैक्षणिक संस्थानों ने अक्टूबर में इस नीति के खिलाफ अदालत का रुख किया था। सितंबर में नीति पर हस्ताक्षर करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था — “हमारा उद्देश्य स्पष्ट है: अमेरिकी नौकरियों पर पहला हक अमेरिकी नागरिकों का होना चाहिए।”
