
AMN / WEB DESK
इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का आज 50 साल बाद समारोहपूर्वक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में विलय किया गया. यह ज्योति देश के वीर जवानों की शहादत की प्रतीक है. शु्क्रवार को अमर जवान ज्योति को युद्ध स्मारक ले जाया जाया गया. गौरतलब है कि वर्ष 1971 के युद्ध में जो जवान शहीद हुए थे, उनकी याद में ये लौ (अमर जवान ज्योति) जलाई गई थी. दूसरी ओर,,नेशनल वार मेमोरियल 2019 में बना था और इसकी लागत करीब 176 करोड़ रुपये रही है.केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि अमर जवान ज्योति की मशाल की लौ को बुझाया नहीं जा रहा है, बल्कि से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्वाला में मिलाया गया है.
26 जनवरी 1972 को इंदिरा गांधी ने अमर जवान ज्योति ने यह लौ जलाई थी, जिसे अब 50 साल बाद राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ले जाया गया.
सरकार की दलील है कि 1971 के युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों से किसी का भी नाम इंडिया गेट पर उल्लेखित नहीं है, वहां सिर्फ प्रथम विश्व युद्ध में शहीद जवानों के नाम ही अंकित हैं. जबकि नेशनल वार मेमोरियल में 26 हजार से ज्यादा जवानों के नाम उल्लेखित हैं. लिहाजा बेहतर होगा कि इस लौ को स्मारक में लाया जाए. इसी के साथ गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम भी 24 जनवरी की जगह 23 जनवरी को शुरू होगा. 23 जनवरी 2022 को नेताजी की जयंती का शताब्दी समारोह है और उस दिन एक बड़े समारोह का आगाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. कहा जा रहा है कि इस कवायद के साथ इंडिया गेट का लंबे इतिहास अब एक नए मोड़ की ओर बढ़ रहा है.
1971 युद्ध का प्रतीक अमर जवान ज्योति
पिछले 50 से ज्यादा सालों से अमर जवान ज्योति में जल रही ज्वाला 1971 भारत पाकिस्तान युद्ध का प्रतीक माना जाता है। 1971 युद्ध में भारतीय जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी। इस युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत के बाद ही बांग्लादेश का जन्म हुआ था। अमर जवान ज्योति में जल रही ज्वाला 1971 युद्ध में शहीदों को याद करता है।