राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि देश ने आजादी के बाद शक्ति दर शक्ति प्राप्त की है। मुख्य रूप से यह संविधान में प्रदत्त मूल तत्वों का अनुपालन दृढ़ता से करने के कारण हुआ है। यह एक चिरस्थाई दस्तावेज है जो हमारी आशाओं और उन्हें प्राप्त करने की विस्तृत रूपरेखा प्रदर्शित करता है। हम सभी संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों का कर्तव्य है कि हम इन अक्षय मूल शब्दों को दोषमुक्त रखें।
2015 एक कठिन वर्ष था। हमें विश्व अर्थव्यवस्था के धीमा होने, जलवायु परिवर्तन, बाहरी और आंतरिक सुरक्षा जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अंतर्राष्ट्रीय सीमा वाले राज्य आतंकी हमलों से प्रभावित रहे जिनकी स्पष्ट रूप से बाहरी कड़ी है। चुनौतीपूर्ण आंतरिक सुरक्षा वातावरण ने हम सबको अपनी रक्षा क्षमताओं को उन्नत करने के लिए प्रेरित किया है। इसके साथ ही हमें सभी अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को शांतिपूर्ण बातचीत और विचार-विमर्श से सुलझाने के प्रति अपने प्रयासों को जारी रखना होगा।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि देश में शिक्षा के स्तर को सुधारने में राज्यपाल अहम् भूमिका निभा सकते हैं। राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के 47वें सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर श्री मुखर्जी ने आज कहा कि हमारा देश स्वतंत्रता के बाद से धीरे-धीरे मजबूत हुआ है। ये मुख्य रूप से संविधान के सिद्धान्तों का सही से पालन करने के कारण मुमकिन हो सका है।
श्री मुखर्जी ने जोर दिया कि सभी लम्बित अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को शांति से बातचीत के जरिये हल किया जाना चाहिए।
श्री मुखर्जी ने कहा कि लगातार दो बार से मॉनसून की कम वर्षा के कारण देश सूखे की सबसे बुरी स्थिति से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि संकटग्रस्त किसानों की समस्याओं पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल ही में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत किसानों को जोखिम से बचाने के लिए विशेष सुविधाएं दी गईं हैं।
मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्मार्ट सिटी मिशन और स्वच्छ अभियान जैसी सरकारी योजनाओं को प्रभावी तरीके से अमल में लाने के लिए जरूरी है कि इसमें राज्य सरकारों की भी पूरी सहभागिता हो। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन प्रणाली को पूरी तरह से दुरूस्त रखना चाहिए।