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नागरिकता संशोधन विधेयक की वजह से पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन चल रहे हैं. क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में सुरक्षाबलों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. संसद में पास हुए नागरिक संशोधन बिल के विरोध में असम, त्रिपुरा, मिज़ोरम, मेघालय में कई नागरिक अधिकार संगठन और छात्र संगठन सड़कों पर उतर आए हैं.
असम में गुरुवार को भी कई जगह कर्फ़्यू तोड़ सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई. कई जगह सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं. कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों को हवाई फ़ायरिंग भी करनी पड़ी. हालात को देखते हुए असम के चार इलाकों में सेना की पांच टुकड़ियां तैनात की गई हैं.
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सोनोवाल का आश्वासन–सरकार असमवासियों के भाषायी, सांस्कृतिक और भूमि संबंधी अधिकारों को संवैधानिक सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम के लोगों को आश्वासन दिया है कि उन्हें नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है।
श्री मोदी ने एक ट्वीट में उन्हें आश्वस्त किया कि कोई भी उनके अधिकारों को छीन नहीं सकता और न ही उनकी पहचान, संस्कृति और विकास पर इसका कोई असर पड़ेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार असम समझौते की धारा छह के अनुसार लोगों की राजनीतिक, भाषाई, सांस्कृतिक और भूमि अधिकारों की संवैधानिक सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
वहीं असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भरोसा दिलाया है कि लोगों को नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कोई चिंता नहीं करनी चाहिए।
श्री सोनोवाल ने कहा कि असम समझौते को लागू करने से राज्य के लोगों की संस्कृति और भाषा के साथ-साथ राजनीतिक तथा भूमि अधिकारों की भी रक्षा होगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृहमंत्री ने पहले ही कहा था कि केन्द्र असम समझौते की धारा छह को लागू करने को प्रतिबद्ध है।
श्री सोनोवाल ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के नाम पर कुछ लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं।