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इंडियन आवाज़     18 Apr 2024 09:03:40      انڈین آواز

प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ की 43वीं कड़ी का मूल पाठ

(Last Updated On: 29/04/2018)

Mann_ki_Baat

मेरे प्यारे देशवासियो !
नमस्कार

हाल ही में 4 अप्रैल से 15 अप्रैल तक ऑस्ट्रेलिया में 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन हुआ। भारत सहित दुनिया के 71 देशों ने इसमें हिस्सा लिया। जब इतना बड़ा आयोजन हो, विश्व भर से आये हज़ारों खिलाड़ी इसमें भाग ले रहे हों, कल्पना कर सकतें हैं कैसा माहौल होगा ? जोश, जज़्बा, उत्साह, आशाएँ, आकांक्षाएँ, कुछ कर दिखाने का संकल्प – जब इस तरह का माहौल हो तो कौन इससे अपने आपको अलग रख सकता है। ये एक ऐसा समय था जब देश भर में लोग रोज़ सोचते थे कि आज कौन-कौन से खिलाड़ी perform करेंगे। भारत का प्रदर्शन कैसा रहेगा, हम कितने medal जीतेंगे और बहुत स्वाभाविक भी था। हमारे खिलाडियों ने भी देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया और एक-के-बाद एक medal जीतते ही चले गए। चाहे shooting हो, wrestling हो, weightlifting हो, table tennis हो या badminton; हो भारत ने record  प्रदर्शन किया। 26 Gold, 20 Silver, 20 Bronze – भारत ने क़रीब-क़रीब कुल 66 पदक जीते। हर भारतीय को ये सफ़लता गर्व दिलाती है। पदक जीतना खिलाड़ियों के लिए गर्व और खुशी की बात होती ही है। ये पूरे देश के लिए, सभी देशवासियों के लिए अत्यंत गौरव का पर्व होता है। मैच समाप्त होने के बाद जब पदक के साथ भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए athlete वहाँ पदक के साथ खड़े होते हैं, तिरंगा झंडा लपेटे होते हैं, राष्ट्रगान की धुन बजती है और वो जो भाव होता है, संतोष और खुशी का, गौरव का, मान-सम्मान का अपने आप में कुछ ख़ास होता है, विशेष होता है। तन-मन को झकझोरने वाला होता है। उमंग और उर्मि से भरा हुआ होता है। हम सब एक भाव से भर जाते हैं। शायद उस भावों को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द भी कम पड़ जाएँगे। लेकिन मैंने इन खिलाड़ियों से जो सुना, मैं आपको सुनाना चाहता हूँ। मुझे तो गर्व होता है, आपको भी गर्व होगा।

मैं मनिका बत्रा जो Commonwealth में चार medal लायी हूँ। दो Gold, एक  Silver,  एक  Bronze। ‘मन की बात’ programme सुनने वालों को मैं बताना चाहती हूँ कि मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि पहली बार India में  table tennis इतना popular हो रहा है। हाँ मैंने अपना best table tennis खेला होगा।  पूरे life का best table tennis खेला होगा। जो उससे पहले मैंने practice करी है उसके बारे में मैं बताऊँगी कि मैंने बहुत, अपने coach संदीप sir के साथ practice करी है। Commonwealth से पहले जो हमारे camps थे Portugal में, हमें tournaments भेजा government ने और मैं thank you government को करती हूँ क्योंकि उन्होंने इतने सारे international exposure दिए हमें। Young generation को बस एक message दूंगी कभी give up मत करो। explore yourself.

मैं पी गुरुराज ‘मन की बात’ programme सुनने वालों को ये बताना चाहता हूँ। 2018 commonwealth game मेरा ये medal जीतने का सपना था। मैं पहली बार पहले commonwealth games में पहले India को medal दे के मैं बहुत खुश हूँ। ये medal मेरा गाँव कुन्दापुरा (kundapur)  और मेरा state Karnataka और मेरा country को ये dedicate करता हूँ।

मीराबाई चानू,  मैंने 21st Commonwealth Games में India के लिए first Gold medal जीता था। तो इसी में मुझे बहुत खुशी हुआ। मेरी एक dream थी India के लिए और Manipur के लिए एक अच्छा वाला players बनने के लिए, तो मैंने सारी movie में देखती है।  जैसे कि Manipur का मेरी दीदी और वो सब कुछ देखने के बाद मुझे भी ऐसे सोचा था कि India के लिए Manipur के लिए अच्छा वाला player बनना चाहती हूँ। ये मेरा successful होने के कारण मेरा discipline भी है और sincerity, dedication and a hard work .

Commonwealth Games में भारत का प्रदर्शन बेहतरीन तो था ही, साथ ही यह विशेष भी था। विशेष इसलिए कि इस बार कई चीज़ें थी, जो पहली बार हुई। क्या आप जानते हैं कि इस बार Commonwealth Games में भारत की तरफ़ से जितने wrestlers थे, सब के सब medal जीत के आये हैं। मनिका बत्रा ने जितने भी event भी compete किया – सभी में medal जीता। वह पहली भारतीय महिला है, जिन्होंने individual table tennis में भारत को Gold  दिलाया है। भारत को सबसे ज़्यादा medal shooting में मिले। 15 वर्षीय भारतीय shooter अनीश भानवाला Commonwealth Games में भारत की तरफ़ से Gold medal जीतने वाले youngest खिलाड़ी बने। सचिन चौधरी Commonwealth Games में medal जीतने के लिए एकमात्र भारतीय Para Power-lifter हैं।  इस बार के games विशेष इसलिए भी थे कि अधिकतर medalist महिला athlete थीं। Squash हो, boxing हो,  weightlifting हो, shooting हो – महिला खिलाड़ियों ने कमाल करके दिखाया। Badminton में तो final मुकाबला भारत की ही दो खिलाड़ियों साइना नेहवाल और पी.वी. सिन्धु के बीच हुआ। सभी उत्साहित थे कि मुकाबला तो है लेकिन दोनों medal भारत को ही मिलेंगे – पूरे देश ने देखा। मुझे भी देख करके बहुत अच्छा लगा। Games  में भाग लेने वाले athletes, देश के अलग-अलग भागों से, छोटे-छोटे शहरों से आये हैं। अनेक बाधाओं, परेशानियों को पार करके यहाँ तक पहुँचे हैं और आज उन्होंने जो मुक़ाम हासिल किया है, वे जिन लक्ष्यों तक पहुँचे हैं, उनकी इस जीवन-यात्रा में चाहे उनके माता-पिता हों, उनके guardian हो, coach हो, support staff हो, स्कूल हो, स्कूल के शिक्षक हों, स्कूल का वातावरण हो – सभी का योगदान है। उनके दोस्तों का भी योगदान है, जिन्होंने हर परिस्थिति में उनका हौंसला बुलन्द रखा। मैं उन खिलाड़ियों के साथ-साथ उन सबको भी ढ़ेरों बधाइयाँ देता हूँ, शुभकामनाएँ देता हूँ।

पिछले महीने ‘मन की बात’ के दौरान मैंने देशवासियों से ख़ास-करके हमारे युवकों से fit India का आह्वान किया था  और मैंने हर किसी को निमंत्रण दिया था आइये! fit India से जुड़िये, fit India को lead कीजिये। और मुझे बहुत खुशी हुई कि लोग बड़े उत्साह के साथ इसके साथ जुड़ रहे हैं। बहुत सारे लोगों ने इसके लिए अपना support दिखाते हुए मुझे लिखा है, पत्र भेजे हैं, social media पर अपना fitness मंत्र – fit India stories भी share की हैं।

एक सज्जन श्रीमान् शशिकान्त भोंसले ने swimming pool की अपनी एक तस्वीर share करते हुए लिखा है –

“My weapon is my body, my element is water, My world is swimming.”

रूमा देवनाथ लिखती हैं – “Morning walk से मैं ख़ुद को happy और healthy महसूस करती हूँ। और वो आगे कहती हैं – “For me – fitness comes with a smiles and we should smile, when we are happy.”

देवनाथ जी इसमें कोई सन्देह नहीं है कि happiness ही fitness है।

धवल प्रजापति ने trekking की अपनी तस्वीर साझा करते हुए लिखा है – ‘मेरे लिए travelling और trekking ही fit India है’। यह देख करके काफ़ी अच्छा लगा कि कई जानी-मानी हस्तियाँ भी बड़े रोचक ढ़ंग से fit India के लिए हमारे युवाओं को प्रेरित कर रही हैं। सिने-कलाकार अक्षय कुमार ने twitter पर एक video साझा किया है। मैंने भी उसे देखा है और आप सब भी ज़रूर देखेंगे; इसमें वो wooden beads के साथ  exercise करते हुए नज़र आ रहे हैं  और उन्होंने कहा है कि ये exercise पीठ और पेट की मांसपेशियों के लिए काफ़ी लाभदायक है। एक और उनका video भी प्रचलित हो गया है, जिसमें वो लोगों के साथ volleyball पर हाथ आज़मा रहे हैं। बहुत से और युवाओं ने भी fit India efforts के साथ जुड़कर के अपने अनुभवों को share किया है। मैं समझता हूँ कि इस तरह के आन्दोलन हम सभी के लिए, पूरे देश के लिए बेहद फायदेमंद हैं।… और एक बात तो मैं ज़रूर कहूँगा – बिना ख़र्चे का fit India के movement का नाम है ‘योग’। fit India अभियान में योग की विशेष महिमा है और आप भी तैयारी में लग गए होंगे। 21 जून ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ का माहात्म्य तो अब पूरे विश्व ने स्वीकार किया है। आप भी अभी से तैयारी कीजिये। अकेले नहीं – आपका शहर, आपका गाँव, आपका इलाक़ा, आपके स्कूल, आपके college हर कोई किसी भी उम्र का – पुरुष हो, स्त्री हो योग से जोड़ने के लिए प्रयास करना चाहिये। सम्पूर्ण शारीरिक विकास के लिए, मानसिक विकास के लिए, मानसिक संतुलन के लिए योग का क्या उपयोग है, अब हिन्दुस्तान में और दुनिया में बताना नहीं पड़ता है और आपने देखा होगा कि एक animated video, जिसमें मुझे दिखाया गया है, वो इन दिनों काफ़ी प्रचलित हो रहा है। Animation वालों को मैं इसलिए भी बधाई देता हूँ कि उन्होंने बहुत बारीक़ी से जो काम एक टीचर कर सकता है वो animation से हो रहा है। आपको भी ज़रूर इसका लाभ मिलेगा।

मेरे नौजवान साथियो ! आप तो अब exam, exam, exam के चक्कर से निकलकर के अब छुट्टियों की चिंता में लगे होंगे। छुट्टियाँ कैसे मनाना, कहाँ जाना सोचते होंगे। मैं आज आपको एक नये काम के लिए निमंत्रण देने के लिए बात करना चाहता हूँ और मैंने देखा है कि बहुत सारे नौज़वान इन दिनों कुछ-न-कुछ नया सीखने के लिए भी अपना समय बिताते हैं। Summer Internship का माहात्म्य बढ़ता चला जा रहा है और नौज़वान भी उसकी तलाश करते रहते हैं, और वैसे भी internship अपने आप में एक नया अनुभव होता है। चार दीवारी के बाहर कागज़-कलम से, कंप्यूटर से दूर ज़िन्दगी को नए तरीके से जीने का अनुभव करने का अवसर मिलता है। मेरे नौज़वान साथियो, एक विशेष internship के लिए मैं आज आपसे आग्रह कर रहा हूँ। भारत सरकार के तीन मंत्रालय Sports हो, HRD हो, Drinking Water का Department हो – सरकार के तीन-चार मंत्रालय ने मिलकर के एक ‘Swachh Bharat Summer Internship 2018’ ये launch किया है। कॉलेज के छात्र-छात्राएँ, NCC के नौज़वान, NSS के नौज़वान, नेहरु युवा केंद्र के नौज़वान, जो कुछ करना चाहते हैं, समाज के लिए देश के लिए और कुछ सीखना चाहते हैं, समाज के बदलाव में, जो अपने आप को जोड़ना चाहते हैं, निमित्त बनना चाहते हैं; एक सकारात्मक ऊर्जा को लेकर के समाज में कुछ-न-कुछ कर गुज़रने का इरादा है, उन सब के लिए अवसर है और इससे स्वच्छता को भी बल मिलेगा और जब हम 2 अक्तूबर से महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती मनायेंगे, उसके पहले हमें कुछ करने का संतोष मिलेगा और मैं ये भी बता दूँ कि जो उत्तम-से-उत्तम interns होंगे, जो कॉलेज में उत्तम काम किया होगा, विश्वविद्यालय में किया होगा – ऐसे सब को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार दिए जाएँगे। इस internship को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले प्रत्येक intern को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ द्वारा एक certificate दिया जायेगा। इतना ही नहीं, जो intern इसे अच्छे से पूरा करेंगे, UGC उन्हें दो credit point भी देगा। मैं छात्रों को, छात्राओं को, नौज़वानों को फिर एक बार निमंत्रण देता हूँ internship के लिए आप इसका लाभ उठाएँ। आप MyGov पर जाकर ‘Swachh Bharat Summer Internship’ के लिए register कर सकते हैं। मैं आशा करता हूँ कि हमारे युवा स्वच्छता के इस आन्दोलन को और आगे बढ़ाएँगे। आपके प्रयासों के बारे में जानने के लिए मैं भी इच्छुक हूँ। आप अपनी जानकारियाँ ज़रुर भेजिए, story भेजिए, photo भेजिए, video भेजिए। आइये ! एक नए अनुभव के लिए इन छुट्टियों को सीखने का अवसर बना दें।

मेरे प्यारे देशवासियो ! जब भी मौका मिलता है तो दूरदर्शन पर ‘Good News India’ इस कार्यक्रम को जरुर देखता हूँ और मैं तो देशवासियों से भी अपील करूँगा कि ‘Good News India’ भी हमें देखना चाहिए  और वहाँ पर पता चलता है कि हमारे देश के किस-किस कोने में कितने-कितने लोग किस-किस प्रकार से अच्छा काम कर रहे हैं, अच्छी बातें हो रही हैं।

मैंने पिछले दिनों देखा दिल्ली के ऐसे युवाओं की कहानी दिखा रहे थे जो ग़रीब बच्चों की पढ़ाई के लिए नि:स्वार्थ भाव से जुटे हुए हैं। इन नौज़वानों के समूह ने दिल्ली में street child को और झुग्गियों में रहने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है। शुरुआत में तो उन्होंने सड़कों पर भीख माँगने वाले या छोटे-मोटे काम करने वाले बच्चों की हालत ने उनको ऐसा झक़झोर दिया कि वो इस रचनात्मक काम के अंदर खप गए। दिल्ली की गीता कालोनी के पास की झुग्गियों में 15 बच्चों से प्रारंभ हुआ ये अभियान आज राजधानी के 12 स्थानों पर 2 हज़ार बच्चों से जुड़ चुका है, इस अभियान से जुड़े युवा, शिक्षक अपनी व्यस्त दिनचर्या से 2 घंटे का free time निकालकर सामाजिक बदलाव के इस भगीरथ  प्रयास में जुटे हुए हैं।

भाइयो-बहनो, उसी प्रकार से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के कुछ किसान देश-भर के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत  बन गए हैं। उन्होंने संगठित प्रयासों से न सिर्फ़ अपना बल्कि अपने क्षेत्र का भी भाग्य बदल डाला। उत्तराखंड के बागेश्वर में मुख्य रूप से मंडवा, चौलाई, मक्का या जौ की फसल होती है। पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से किसानों को इसका उचित मूल्य नहीं मिल पाता था लेकिन कपकोट तहसील के किसानों ने इन फसलों को सीधे बाज़ार में बेचकर घाटा सहने के बजाये उन्होंने मूल्य वृद्धि का रास्ता अपनाया, value addition का रास्ता अपनाया। उन्होंने क्या किया – इन्हीं खेत पैदावार में से biscuit बनाना शुरू किया और biscuit बेचना शुरू किया। उस इलाके में तो ये बड़ी पक्की मान्यता है कि iron rich है और iron rich, लौह-तत्व से युक्त ये biscuit गर्भवती महिलाओं के लिए तो एक प्रकार से बहुत उपयोगी होते हैं। इन किसानों ने मुनार गाँव में एक सहकारी संस्था बनाई है और वहाँ biscuit बनाने की फैक्ट्री खोल ली है। किसानों की हिम्मत देखकर प्रशासन ने भी इसे राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जोड़ दिया है। ये biscuit अब न सिर्फ बागेश्वर ज़िले के लगभग पचास आंगनवाड़ी केन्द्रों में, बल्कि अल्मोड़ा और कौसानी  तक पहुँचाये जा रहे हैं। किसानों की मेहनत से संस्था का सालाना turnover न केवल 10 से 15 लाख रूपये तक पहुँच चुका है बल्कि 900 से अधिक परिवारों को रोज़गार के अवसर मिलने से ज़िले से होने वाला पलायन भी रुकना शुरू हुआ है।

मेरे प्यारे देशवासियो ! जब हम सुनते हैं कि भविष्य में दुनियाँ में पानी को लेकर के युद्ध होने वाले हैं। हर कोई ये बात बोलता है लेकिन क्या हमारी कोई जिम्मेवारी है क्या ? क्या हमें नहीं लगता है कि जल-संरक्षण ये सामाजिक जिम्मेवारी होनी चाहिए? हर व्यक्ति की जिम्मेवारी होनी चाहिए।  बारिश की एक-एक बूँद हम कैसे बचाएँ और हम में से सबको पता है कि हम भारतीयों के दिल में जल-संरक्षण ये कोई नया विषय नहीं है, किताबों का विषय नहीं है, भाषा का विषय नहीं रहा। सदियों से हमारे पूर्वजों ने इसे जी करके दिखाया है। एक-एक बूँद पानी के माहात्म्य को उन्होंने प्राथमिकता दी है। उन्होंने ऐसे नए-नए उपाए ढूंढें है कि पानी की एक-एक बूँद को कैसे बचाया जाए ?आप में से शायद जिन लोगों को तमिलनाडु में जाने का अवसर मिलता होगा तो तमिलनाडु में कुछ मंदिर ऐसे हैं कि जहाँ मंदिरों में सिंचाई व्यवस्था, जल-संरक्षण व्यवस्था, सूखा-प्रबंधन, इसके बड़े-बड़े शिलालेख मंदिरों में लिखे गए हैं। मनारकोविल,  चिरान महादेवी, कोविलपट्टी या पुदुकोट्टई (Pudukottai)  हो सब जगह पर बड़े-बड़े शिलालेख आपको दिखाई देंगे। आज भी विभिन्न बावड़ियाँ, stepwells पर्यटन स्थल के रूप में तो परिचित हैं लेकिन ये न भूलें कि ये जल-संग्रह के बड़े हमारे पूर्वजों के अभियान के जीते-जागते सबूत हैं। गुजरात में अडालज और पाटन की रानी की वाव(बावड़ी) जो एक UNESCO World Heritage site है इनकी भव्यता देखते ही बनती है ; एक प्रकार से बावड़ियाँ जल मंदिर ही तो हैं। अगर आप राजस्थान जाएँ तो आप जोधपुर में चाँद बावड़ी जरुर जाइएगा। ये भारत की सबसे बड़ी और खूबसूरत बावड़ी में से एक है और सबसे ध्यान देने वाली बात ये है कि वह उस धरती पर है जहाँ पानी की क़िल्लत रहती है। April, May, June, July ये समय ऐसा होता है कि वर्षा के पानी को संग्रह करने का उत्तम अवसर होता है और अगर हम advance में जितनी तैयारियाँ करें उतना हमें फायदा मिलता है। मनरेगा का budget भी इस जल-संरक्षण के लिए काम आता है। पिछले तीन वर्षों के दौरान जल-संरक्षण और जल-प्रबंधन की दिशा में हर किसी ने अपने-अपने तरीके से प्रयास किये हैं। हर साल मनरेगा budget से हटकर  जल-संरक्षण और जल-प्रबंधन पर औसतन 32 हज़ार करोड़ रूपए खर्च किये गए हैं। 2017-18 की बात करें तो मैं 64 हज़ार करोड़ रूपए के कुल व्यय का 55% यानी क़रीब-क़रीब 35 हज़ार करोड़ रूपए  जल-संरक्षण जैसे कामों पर खर्च किये गए हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान इस तरह के जल-संरक्षण और जल-प्रबंधन उपायों के माध्यम से क़रीब-क़रीब 150 लाख हैक्टेयर भूमि को  अधिक मात्रा में लाभ मिला है। जल-संरक्षण और जल-प्रबंधन के लिए भारत सरकार के द्वारा जो मनरेगा में धनराशि मिलती है, कुछ लोगों ने इसका बहुत अच्छा फायदा उठाया है। केरल में कुट्टूमपेरूर (Kuttemperoor), उस नदी पर 7 हज़ार मनरेगा के काम करने वाले लोगों ने 70 दिनों तक कड़ी मेहनत करके उस नदी को पुनर्जीवित कर दिया। गंगा और यमुना पानी से भरी हुई नदियाँ हैं  लेकिन उत्तर प्रदेश में कई और इलाके भी हैं; जैसे फतेहपुर ज़िला का ससुर खदेरी नाम की दो छोटी नदियाँ सूख गयीं। ज़िला प्रशासन ने मनरेगा के तहत बहुत बड़ी संख्या में मिट्टी और जल-संरक्षण के कार्य का बीड़ा उठाया। क़रीब-क़रीब 40-45 गाँवों के लोगों की मदद से इस ससुर खदेरी नदी जो सूख चुकी थी, उसको पुनर्जीवित किया। पशु हो, पक्षी हो, किसान हो, खेती हो, गाँव हो कितनी बड़ी आशीर्वाद भरी ये सफलता है। मैं यही कहूँगा कि फिर एक बार April, May, June, July हमारे सामने हैं, जल-संचय, जल-संरक्षण के लिए हम भी कुछ ज़िम्मेवारी उठाएँ, हम भी कुछ योजना बनाएँ, हम भी कुछ करके दिखाएँ।

मेरे प्यारे देशवासियो ! जब ‘मन की बात’ होती है तो मुझे चारों तरफ से सन्देश आते हैं, चिट्ठियाँ आती हैं, फ़ोन आते हैं। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परग़ना ज़िले के देवीतोला गाँव के आयन कुमार बनर्जी ने MyGov पर अपने comment में लिखा है – “हम हर वर्ष रबीन्द्र जयंती मनाते हैं लेकिन कई लोग नोबेल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ टैगोर की peacefully, beautifully और integrity के साथ जीने की philosophy के बारे में जानते ही नहीं हैं। कृपया ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस विषय पर चर्चा करें ताकि लोग उसके बारे में जान सकें।”

मैं आयन जी को धन्यवाद देता हूँ कि आपने ‘मन की बात’ के सभी साथियों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया। गुरुदेव टैगोर ज्ञान और विवेक से सम्पूर्ण व्यक्तित्व वाले थे, जिनकी लेखनी ने हर किसी पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। रबीन्द्रनाथ- एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व थे, बहुआयामी व्यक्तित्व थे, लेकिन उनके भीतर एक शिक्षक हर पल अनुभव कर सकते हैं। उन्होंने गीतांजलि में लिखा है- ‘He, who has the knowledge has the responsibility to impart it to the students.’ अर्थात जिसके पास ज्ञान है, उसकी ये जिम्मेदारी है कि वह उसे जिज्ञासुओं के साथ बाँटे।

मैं बांग्ला भाषा तो नहीं जानता हूँ, लेकिन जब छोटा था मुझे बहुत जल्दी उठने की आदत रही – बचपन से और पूर्वी हिंदुस्तान में रेडियो जल्दी शुरू होता है, पश्चिम हिंदुस्तान में देर से शुरू होता है तो सुबह मोटा-मोटा मुझे अंदाज़ है; शायद 5.30 बजे रबीन्द्र संगीत प्रारंभ होता था, रेडियो पर और मुझे उसकी आदत थी। भाषा तो नहीं जानता था सुबह जल्दी उठ करके रेडियो पर रबीन्द्र संगीत सुनने की मेरी आदत हो गई थी और जब आनंदलोके और आगुनेर, पोरोशमोनी- ये कविताएँ सुनने का जब अवसर मिलता था, मन को बड़ी ही चेतना मिलती थी। आपको भी रबीन्द्र संगीत ने, उनकी कविताओं ने ज़रुर प्रभावित किया होगा। मैं रबीन्द्र नाथ ठाकुर को आदरपूर्वक अंजलि देता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो ! कुछ ही दिनों में रमज़ान का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। विश्वभर में रमज़ान का महीना पूरी श्रद्धा और सम्मान से मनाया जाता है। रोज़े का सामूहिक पहलू यह है कि जब इंसान खुद भूखा होता है तो उसको दूसरों की भूख का भी एहसास होता है। जब वो ख़ुद प्यासा होता है तो दूसरों की प्यास का उसे एहसास होता है। पैगम्बर मोहम्मद साहब की शिक्षा और उनके सन्देश को याद करने का यह अवसर है। उनके जीवन से समानता और भाईचारे के मार्ग पर चलना यह हमारी ज़िम्मेदारी बनती है। एक बार एक इंसान ने पैगम्बर साहब से पूछा- “इस्लाम में कौन सा कार्य सबसे अच्छा है?” पैगम्बर साहब ने कहा – “किसी गरीब और ज़रूरतमंद को खिलाना और सभी से सदभाव से मिलना, चाहे आप उन्हें जानते हो या न जानते हो”। पैगम्बर मोहम्मद साहब ज्ञान और करुणा में विश्वास रखते थे। उन्हें किसी बात का अहंकार नहीं था। वह कहते थे कि अहंकार ही ज्ञान को पराजित करता रहता है। पैगम्बर मोहम्मद साहब का मानना था कि यदि आपके पास कोई भी चीज़ आपकी आवश्यकता से अधिक है तो आप उसे किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति को दें, इसीलिए रमज़ान में दान का भी काफी महत्व है। लोग इस पवित्र माह में ज़रूरतमंदों को दान देते हैं। पैगम्बर मोहम्मद साहब का मानना था कोई व्यक्ति अपनी पवित्र आत्मा से अमीर होता है न कि धन-दौलत से।  मैं सभी देशवासियों को रमज़ान के पवित्र महीने की शुभकामनाएँ देता हूँ और मुझे आशा है यह अवसर लोगों को शांति और सदभावना के उनके संदेशों पर चलने की प्रेरणा देगा।

मेरे प्यारे देशवासियो ! बुद्ध पूर्णिमा प्रत्येक भारतीय के लिए विशेष दिवस है। हमें गर्व होना चाहिए कि भारत करुणा, सेवा और त्याग की शक्ति दिखाने वाले महामानव भगवान बुद्ध की धरती है, जिन्होंने विश्वभर में लाखों लोगों का मार्गदर्शन किया। यह बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध को स्मरण करते हुए उनके रास्ते पर चलने का प्रयास करने का, संकल्प करने का और चलने का हम सबके दायित्व को पुन:स्मरण कराता है। भगवान बुद्ध समानता, शांति, सदभाव और भाईचारे की प्रेरणा शक्ति है। यह वैसे मानवीय मूल्य हैं, जिनकी आवश्यकता आज के विश्व में सर्वाधिक है। बाबा साहेब डॉ. आम्बेडकर जोर देकर कहते हैं कि उनकी social philosophy  में भगवान बुद्ध की बड़ी प्रेरणा रही है। उन्होंने कहा था – “My Social philosophy may be said to be enshrined in three words; liberty, equality and fraternity. My Philosophy has roots in religion and not in political science. I have derived them from the teaching of my master, The Buddha.”

बाबा साहेब ने सविंधान के माध्यम से दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो हाशिये पर खड़े करोड़ों लोगों को सशक्त बनाया। करुणा का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता। लोगों की पीड़ा के लिए यह करुणा भगवान बुद्ध के सबसे महान गुणों में से एक थी। ऐसा कहा जाता है कि बौद्ध भिक्षु विभिन्न देशों की यात्रा करते रहते थे। वह अपने साथ भगवान बुद्ध के समृद्ध विचारों को ले करके जाते थे और यह सभी काल में होता रहा है। समूचे  एशिया में भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ हमें विरासत में मिली हैं। वह हमें अनेक एशियाई देशों; जैसे चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कम्बोडिया, म्यांमार कई अनेक देश वहाँ बुद्ध की इस परंपरा, बुद्ध की शिक्षा जड़ों में  जुड़ी हुई हैं और यही कारण है कि हम Buddhist Tourism के लिए Infrastructure विकसित कर रहे हैं, जो दक्षिण-पूर्वी एशिया के महत्वपूर्ण स्थानों को, भारत के खास बौद्ध स्थलों के साथ जोड़ता है। मुझे इस बात की भी अत्यंत प्रसन्नता है कि भारत सरकार कई बौद्ध मंदिरों के पुनरुद्धार कार्यों में भागीदार है। इसमें म्यांमार में बागान में सदियों पुराना वैभवशाली आनंद मंदिर भी सम्मलित है। आज विश्व में हर जगह टकराव और मानवीय पीड़ा देखने को मिलती है। भगवान बुद्ध की शिक्षा घृणा को दया से मिटाने की राह दिखाती है। मैं दुनिया भर में फैले हुए भगवान बुद्ध के प्रति श्रद्धा रखने वाले, करुणा के सिद्धांतों में विश्वास करने वाले – सबको बुद्ध पूर्णिमा की मंगलमयी कामना करता हूँ। भगवान बुद्ध से पूरी दुनिया के लिए आशीर्वाद मांगता हूँ, ताकि हम उनकी शिक्षा पर आधारित एक शांतिपूर्ण और करुणा से भरे विश्व का निर्माण करने में अपनी ज़िम्मेदारी निभा सकें। आज जब हम भगवान बुद्ध को याद कर रहे हैं। आपने laughing Buddha की मूर्तियों के बारे में सुना होगा,  जिसके बारे में कहा जाता है कि laughing Buddha good luck लाते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि smiling Buddha भारत के रक्षा इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना से भी जुड़ी हुई है। अब आप सोचते रहे होंगे  कि smiling Buddha और भारत की सैन्य-शक्ति के बीच क्या संबंध है? आपको याद होगा आज से 20 वर्ष पहले 11 मई, 1998 शाम को तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था और उनकी बातों ने पूरे देश को गौरव, पराक्रम और खुशी के पल से भर दिया था। विश्वभर में फैले हुए भारतीय समुदाय में नया आत्मविश्वास उजाग़र हुआ था। वह दिन था बुद्ध पूर्णिमा का। 11 मई, 1998, भारत के पश्चिमी छोर पर राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया था। उसे 20 वर्ष हो रहे हैं  और ये परीक्षण भगवान बुद्ध के आशीर्वाद के साथ बुद्ध पूर्णिमा के दिन  किया गया था। भारत का परीक्षण सफल रहा और एक तरह से कहें तो विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भारत ने अपनी ताक़त का प्रदर्शन किया था। हम कह सकते हैं कि वो दिन भारत के इतिहास में उसकी सैन्य-शक्ति के प्रदर्शन के रूप में अंकित है। भगवान बुद्ध ने दुनिया को दिखाया है-  inner strength अंतर्मन की शक्ति शांति के लिए आवश्यक है। इसी तरह जब आप एक देश के रूप में मजबूत होते हैं तो आप सब के साथ शांतिपूर्ण रह भी सकते हैं। मई, 1998 का महीना देश के लिए सिर्फ़ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि इस महीने में परमाणु परीक्षण हुए, बल्कि वो जिस तरह से किए गए थे वह महत्वपूर्ण है। इसने पूरे विश्व को दिखाया कि भारत की भूमि महान वैज्ञनिकों की भूमि है और एक मज़बूत नेतृत्व के साथ भारत नित नए मुकाम और ऊँचाइयों को हासिल कर सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मंत्र दिया था – “जय-जवान जय-किसान, जय-विज्ञान” आज जब हम 11 मई, 1998 उसका 20वाँ वर्ष मनाने जा रहे हैं, तब भारत की शक्ति के लिए अटल जी ने जो ‘जय-विज्ञान’ का हमें मंत्र दिया है, उसे आत्मसात करते हुए आधुनिक भारत बनाने के लिए, शक्तिशाली भारत बनाने के लिए, समर्थ भारत बनाने के लिए हर युवा योगदान देने का संकल्प करे। अपने सामर्थ्य को भारत के सामर्थ्य का हिस्सा बनाएँ। देखते-ही-देखते जिस यात्रा को अटल जी ने प्रारंभ किया था, उसे आगे बढ़ाने का एक नया आनंद, नया संतोष हम भी प्राप्त कर पाएँगे।

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