समाजवादी पार्टी के सियासी दंगल की पटकथा से परदा उठने की शुरुआत हो गई है। चुनाव आयोग ने सोमवार को अखिलेश को साइकिल दी थी और उसके बाद से लगातार जो घटनाएं घट रही हैं, उनसे साफ संकेत हैं कि अखिलेश और मुलायम की जंग दिखावे के लिए थी। ऐसा लगता है कि पिता-पुत्र ने उत्तर प्रदेश में लचर कानून और शासन व्यवस्था की तरफ से लोगों का ध्यान हटाने के लिए इस पूरी नौटंकी की पटकथा लिखी।
इस बीच बदलते समीकरणों में कांग्रेस खाट से उठी और ठाठ से साइकिल पर सवार हो गई। हालांकि सीटों के बंटवारे को लेकर कुछ पेच फंसे हुए हैं लेकिन ऐसा लगता है कि अखिलेश अब कांग्रेस और आरएलडी के साथ मिलकर बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में महागठबंधन बनाने की तैयारी में हैं।
अपने राजनीतिक जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे मुलायम को बेटे और आयोग की ओर से मिली शिकस्त के बाद अब लखनऊ में सियासी सरगर्मियां तेज है। दिन भर बैठकों का दौर जारी रहा। सुबह-सुबह लखनऊ में कुछ पोस्टर दिखाई पड़े, जिसमें अखिलेश अपने पिता के साथ दिखे।
इसके बाद से ही सियासी हलकों में ये सुगबुगाहट सुनाई दे रही है कि पिछले कुछ महीनों से पार्टी में जो कुछ भी चल रहा था क्या वो केवल सियासी ड्रामा है। अखिलेश यादव के बयानों से इन अटकलों को और बल मिला। चुनाव आयोग से मिली जीत के बाद अखिलेश मंगलवार सुबह जब पत्रकारों से मुखातिब हुए तो साफ़ कहा कि वो हमेशा अपने पिता के साथ मिलकर चलेंगे।
अखिलेश ने कहा कि अब मेरे सामने विधानसभा चुनाव जीतने की चुनौती है। मैं सोमवार रात अपने पिता से आशीर्वाद लेने गया था। मैं हमेशा उनको साथ लेकर चलूंगा। यह रिश्ता अटूट है। अगला चुनाव उनके मार्गदर्शन में लड़ा जाएगा।
इस फैमिली ड्रामे में मुश्किल उन लोगों की है जिन्हें मुलायम और अखिलेश खेमे की ओर से अगलग अलग लिस्ट में टिकट दिया गया है। चुनाव आयोग के फ़ैसले के बाद कहा जा रहा है कि अखिलेश जल्द ही नई सूची जारी करेंगे।
इन सबके बीच सपा के कांग्रेस के साथ गठबंधन की तस्वीर भी साफ़ होती दिख रही है। सपा की तरफ से अखिलेश यादव और कांग्रेस की तरफ से गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि अगले एक-दो दिनों में इन दलों के बीच गठबंधन हो जाएगा।
वैसे मुलायम सिंह इस गठबंधन के विरोधी रहे हैं। कहा जा रहा है कि अखिलेश के नेतृत्व में कांग्रेस, सपा, आरएलडी और कुछ छोटे दल मिलकर महागठबंधन कर सकते हैं। इसमें कांग्रेस को 80 से 100 और आरएलडी को 20 से 25 तक सीटें मिल सकती हैं। हालांकि सीटों का बंटवारा इस महागठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा। गठबंधन को लेकर यूपी में कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित ने कहा कि अगर सपा से हाथ मिलाते हैं तो वो मुख्यमंत्री उम्मीदवार से नाम वापस लेने को तैयार हैं।
एक ओर गठबंधन की तैयारी चल रही है तो दूसरी ओर कानूनी दांव-पेंच के विकल्प भी खंगाले जा रहे हैं। मुलायम सिंह की ओर से चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाने की बात की जा रही है। इसी के चलते अखिलेश गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पार्टी सिंबल के मसले पर कैविएट दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई अर्जी इस पूरे मामले को लेकर सुनवाई के लिए आती है तो अखिलेश यादव का पक्ष सुना जाए तभी कोई फैसला लिया जाए।
कानूनी लड़ाई अपनी जगह है लेकिन एक बात तो साफ है कि अखिलेश इस फैमिली ड्रामे में मजबूत होकर उभरे हैं। एक ओर उन्हें चुनाव आयोग से सफलता मिली है तो दूसरी ओर अब गठबंधन करने में भी उनकी ही चलेगी। लेकिन फिर भी बड़ा सवाल यही है कि क्या ये सियासी ड्रामा यहीं खत्म होगा या आगे भी जारी रहेगा।
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